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माँ कहती थी ………

Hum bhi kuch kahen....
Hum bhi kuch kahen....
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कभी न किसी का दिल दुखाना

भले हीउसके लिए तुम खुद टूट जाना


हर रिश्ते को दिल से निभाना

फिर चाहे दिल पर कितनी भी चोट खाना


हर किसी का मान रखना

पर कभी न अपना आत्मसम्मान गवाना


दुखों में भी तुम मुस्कुराना

ग़मों का न तुम बाज़ार-ऐ-दिल सजाना


कभी न किसी के दिल से उतरना
हर किसी के दिल में तुम उतर जाना


******प्रवीन मलिक ******

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