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खता की हमने ….

Hum bhi kuch kahen....
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खता की जो तुजसे नज़रे न मिला पाए ,

हमें क्या पता था यूँ रुसवा होके निकलोगे !


खता की जो तुझपे विस्वास कर गए ,

हमें क्या पता था तुम्ही दगा दिल से  करोगे !


खता की जो तुमको अपना दिल सुपुर्द किया ,

हमें क्या पता था तुम्ही बेवफा सनम निकलोगे !



खता की जो तुम्हारा यूँ  रस्ता तकते रहे ,

हमें क्या पता था तुम्ही सजा ए इन्तजार  दोगे !



खता की जो तुझको अपनी जान सुपुर्द की ,

हमें क्या पता  था  तुम्ही कातिले ए जान निकलोगे !


*** प्रवीन मलिक ***

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