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ज़िन्दगी की किताब के पन्ने ………

Hum bhi kuch kahen....
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kitaab

एक दिन यूँही हम अपनी

जिंदगी की किताब के पन्ने

पलटने लगे और देखने लगे

क्या देखा हमने पुराने पन्ने

कुछ तो आज तक महक रहे थे

लेकिन कुछ पन्ने जिंदगी की किताब के

मटमैले से थे कुछ सील से गए थे

जो पन्ने महक रहे थे वो तो

उस समय बड़े कष्ट से लिखे थे

शायद इसीलिए आज तक महक रहे थे

तब उन पन्नो को लिखते समय

अपार कष्ट और दुःख से गुजरे थे हम

लेकिन जो पन्ने ख़ुशी से और अरमानो से

लिखे थे आज वही सीले से क्यूँ हैं

क्यूंकि जो पन्ने कष्ट से लिखे थे

वो दुःख के पल थे जो आज महक दे रहे हैं

और जो पन्ने हमने ख़ुशी से लिखे थे

वो आज सीलन से इसीलिए भरे हैं

क्यूंकि उनको लिखते समय हमने

सिर्फ ख़ुशी का अहसास किया

और ख़ुशी का अहसास इतना हल्का

की बस बीत गयी सो बात गयी

लेकिन गम का अहसास इतना भारी

की आज भी वो दिन

अपनी अहमियत जताता है ……

आज उन पन्नो से खुशबु आ रही है

कल जब हम अपनी किताब के पन्ने

फिर से पलटेंगे तो आज जो पन्ने

हम ग़मगीन होकर लिख रहे हैं

वो महकते हुए ही नज़र आएंगे …

क्यूंकि बीता हुआ कल हमेशा

सुखद ही लगता है चाहे कैसा भी गुजरा हो ….

***************** प्रवीन मलिक   **************

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