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जो है जितना है काफी है … फिर क्यूँ बेचैनी है ????

Hum bhi kuch kahen....
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हेलो दोस्तों ,

कैसे हो आप लोग ? आजकल आप लोगो से बात करने का कम ही समय मिलता है क्यूंकि कभी कभी घर परिवार और दूसरी जिम्मेदारियों के चलते समय नहीं मिल पाता ! लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं है कि मैं आप लोगो को भूल गयी हूँ ! और आशा है कि आप लोग भी नहीं भूले होंगे मुझे 🙂 ….

आज मैं आप लोगो के साथ अपनी एक छोटी सी विजिट के बारे में बात करना चाहूंगी ! अभी हाल ही में मुझे कुछ काम के लिए देहरादून जाना पड़ा ! वहां मैं एक दोस्त के यहाँ रुकी जो की दोस्त के दोस्त हैं यानि की दूर की दोस्ती कह सकते हैं ! लेकिन वहां रहकर मुझे एक मिनट के लिए भी नहीं लगा कि मैं किसी अजनबी के घर में रह रही हूँ ! इश्वर युही उन पर अपना आशीर्वाद बनाये रखे और उनके घर में सदा ही खुशियों का आगमन होता रहे …..

अब मैं जो बात आप लोगो से शेयर करने वाली हूँ वो ये हैं कि उसी दौरान हम देहरादून के जीतगढ में सिथत ” कारवेज चाइल्ड होम ” में गए ! उन्होंने बताया कि चलिए आपको कुछ ऐसे बच्चो से मिलाता हूँ जो कि अपने घर से बहुत दूर रहकर भी खुशनुमा जीवन बिता रहे हैं ! क्यूंकि मैंने उन्हें बातो ही बातो में कहा था कि मैं कभी अपने घर से दूर कभी रही नहीं और ये मेरा पहला मौका है इसीलिए मैं कुछ उदास भी हूँ ! तो उन्होंने कहा की बहन चलिए कुछ ऐसे बच्चे दिखाता हूँ आपको जिनको बहुत छोटी उम्र में ही अपने घर को छोड़ना पड़ता है ! ये चाइल्ड होम ऐसे बच्चो का लालन – पालन करती है जिनके माँ – बाप कोढ़ के रोगी हैं , बहुत ही गरीब हैं लिखा पढ़ा नहीं सकते हैं , माता पिता अलग हो गए हैं या फिर अनाथ हैं …..
ये कोई सरकारी संस्था नहीं है बल्कि इसको चलाने के लिए इंग्लैंड से पैसा आता है या फिर हम और आप जैसे लोग कुछ दान दे देते हैं ! लेकिन अभी हाल में ही मैनेजमेंट के भ्रष्टाचार की वजह से इंग्लैंड से पैसा आना बंद हो गया ….. उन बच्चो का क्या होगा कैसे उनका लालन पालन होगा इश्वर ही जाने …
जब हम वहां गए तो वहां पर ३-४ बच्चे ही थे बाकि छुट्टियों के चलते घर या अपने रिश्तेदारों के यहाँ गए हुए थे ! लेकिन हमें अन्दर जाने की इजाजत मिल गयी कि आप अन्दर जाकर देख सकते हैं बच्चो के रूम और ३-४ बच्चे हैं उनसे बात कर सकते हैं ! वो ३-४ बच्चे ऐसे खुश हुए हमें देखकर की मानो कोई उनका सगा उनसे मिलने आया हो ! वो हमें अपने कमरों की तरफ ले गए ! कमरे तो क्या एक बड़ा सा कमरा था और उसमे लगभग ३० बेड लगे थे और उनपर एकदम पतले से गद्दे पड़े थे ! रजाई भी थी लेकिन वो भी इतनी पतली की उसमे से झांक के देखो तो सब दिख जाता हो ऊपर से इतनी कड़ाके की सर्दी ! मैंने उस लड़के से पूछा कि तुमको इसमें ठण्ड नहीं लगती तो उस लड़के ने मुस्कराते हुए कहा कि ये इतनी मोटी रजाई है तो ठण्ड नहीं लगती ! फिर मैंने पूछा कि तुम अपने घर क्यूँ नहीं गए ?? उस लड़के ने कहा की मैं यहाँ बहुत खुश हूँ ! घर जाकर मैं क्या करूँगा क्यूंकि जब मैं २ साल का था तभी मेरे माँ बाप को पता चला इस संश्था के बारे में और उन्होंने मुझे यहाँ छोड़ दिया ! इस दौरान वो लोग कभी साल २ साल में मुझसे मिलने आ जाते हैं बाकि मैं नहीं जाता क्यूंकि मेरा उनसे कोई लगाव नहीं रहा है न वहां पर कोई दोस्त हैं … मुझे यही रहना अच्छा लगता है … यहाँ भरपेट खाना मिलता है वहां जाऊंगा तो खाना भी नहीं मिलेगा …. उसकी ऐसी बाते सुनकर दिल भर आया की देखो इनको जो मिला है जितना मिला है उसमे ही ये कितने खुश हैं और एक हम हैं हमारे पास हर सुविधा है फिर भी हम किसी के पूछने पर ” की जिंदगी कैसी गुजर रही है ? ” ….. हमारा जवाब होता है की बस भाई कट रही है … कट रही है मतलब उससे हम संतुष्ट नहीं हैं ! हमें और अधिक पाने की इच्छा रहती हैं और इसी इच्छा के तहत हमारा मन अशांत रहता है और फिर हमारी अशांति हमें अनेक बिमारियों से घेर लेती है ! क्यूंकि बीमारी अगर शारीरिक हो तो इलाज किया जा सकता है लेकिन वो बीमारी मन से होती है जिसको सिर्फ मन को वश में करके ही ठीक किया जा सकता है !
हमें जितना मिला है उसमे ही हमें खुश होना चाहिए और उस परमेश्वर से धन्यवाद करना चाहिए कि उसने हमें इस लायक समझा और ये सब सुविधा हम प्राप्त कर पाए …..

मुझे तो वहां जाकर बड़ा अच्छा लगा कि एक ऐसा सच देखा मैंने जिसको देखकर काफी कुछ सीखा ! माना की हमें कोई परेशानी हो लेकिन हमें ये याद रखना चाहिए की इस दुनिया में ऐसे भी बहुत लोग हैं जिनको हमसे तो लाख गुना परेशानियाँ हैं फिर भी वो खुश रहते हैं और संतुष्ट रहते हैं !

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