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उसकी वो मासूम सी चंचल हंसी
जब जब छनकती है मानो दिल में
वीणा के तार थिरक उठते हैं …….
उसकी वो मासूम सी शरारतें
जब जब मैं देखती हूँ मानो दिल में
हजारो वाट के बल्ब जलने लगते हैं …..
उसके वो अटपटे से सवाल
जब जब मैं सुनती हूँ तो मानो दिल में
जवाब होते हुए भी जवाब नहीं मिलते हैं …..
उसकी वो नटखट सी बदमाशियाँ
जब जब मैं देखती हूँ मानो आँखों के सामने
मेरा वो मासूम सा बचपन लौट के आ जाता है ……
उसका वो हर बात पे जिद्द करना
जब जब मैं देखती हूँ तो मेरा दिल
न चाहते हुए भी वो जिद्द पूरी करना चाहता है ……..
उसका छोटी सी उम्र में बड़ी सी बात करना
जब जब मैं सुनती हूँ मानो दिल मेरा
हजारों रंग के ख्वाब बुनता है ………..
उसका गुस्से में रूठ जाना
जब जब मैं देखती हूँ मानो दिल में
अजीब सा दर्द महसूस होने लगता है ……..
उसकी हर वो छोटी बड़ी बात
जब जब मैं सुनती हूँ मानो दिल में
एक अजब सा ख़ुशी का अहसास झलकता है …..
वो छोटा और मासूम- सा
बदमाश और शैतान -सा
मैं तो नहीं पर मेरा अंश
चंचल और शरारती -सा
सबके लिए आम -सा
मेरे लिए कुछ खास – सा
मेरे जिगर का टुकड़ा
मेरे जीने का सहारा
मेरा वो राजदुलारा
कोई और नहीं है मुझे
उससे प्यारा ………… वो मेरा राजदुलारा ….
वो मेरा राजदुलारा …………
ये रचना मैंने सिर्फ अपने बेटे के लिए उसके जन्मदिन के तोहफे के रूप में लिखी है उम्मीद करती हूँ उसको पसंद आएगी ! २४ नवम्बर को उसका जन्मदिन है ! ये दिन हमारे लिए बहुत खास है क्यूंकि इस दिन भगवान् ने हमें एक जीता जागता खिलौना दिया है …. 🙂
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