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ये कविता मेरी नहीं है खुशवंत जी की है …. ये कविता मैंने एक बार अपने स्कूल में जब मैं नवीं कक्षा की छात्रा थी तब मैंने हिंदी दिवस पर सुनाई थी ! हमारे देश में आजकल हिंदी भाषा का लोप होता जा रहा है क्यूंकि जो हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं शायद उनके व्यक्तित्व को कहीं ना कहीं कम आकां जा रहा है इसीलिए हम सब अपनी मात्रभाषा को भूलकर विदेशी भाषा को अपना रहे हैं ! हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है लेकिन हमारे देश के नेता (प्रधान मंत्री या फिर राष्ट्रपति ) भी अपना भाषण हिंदी में देने की बजाय अंग्रेजी में देते हैं ! कम से कम राष्ट्रीय भाषा होने के नाते तो ये फ़र्ज़ बनता है की उन्हें भी अपने भाषण को हिंदी में ही देना चाहिए लेकिन शायद कुछ जगह पर हिंदी समझ नहीं आती होगी इसीलिए वो लोग ऐसा करते होंगे …. लेकिन कहीं भी आप आज नौकरी के लिए जाओगे तो अगर आपको अंग्रेजी का ज्ञान नहीं तो फिर नौकरी को तो भूल ही जाइये ….. सरकारी दफ्तरों में भी हिंदी भाषा का लोप हो रहा है ….
खैर जो हो रहा है पता नहीं कितना सही है कितना गलत लेकिन यही होता रहा तो शायद हमारी आने वाली पीढी हमारी हिंदी भाषा के ज्ञान से वंचित रह जाएगी ….
अब कोई माँ खुद को माँ कहलाना [पसंद नहीं करती ….. माँ से मम्मी और मम्मी से mom बन चुकी हैं ….. पिता जी भी पिताजी ना रहकर पापा और अब तो डैड हो गए हैं … भाई भाई नहीं रहा वो ब्रो (bro ) हो गया है …. बहन बहन ना रहकर सिस (sis ) बन गयी है …..
ये हम सब अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं …. हम अपने बच्चे को आजकल शुरू से ही अंग्रेजी भाषा में बोलना सिखाते हैं ताकि वो आज के समाज में कहीं पीछे ना रह जाये ….
हिंदी भी एक भाषा है और उसका अपना एक महत्व है बाकि भाषाओँ की तरह ही अतः अपनी राष्ट्र भाषा को बोलने में झिजक महसूस ना करे बल्कि गर्व महसूस करे ….
आप सभी को हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें ….
( एक अनुरोध है कि अपने दैनिक जीवन में अपनी मात्रभाषा को प्रयोग करें …. हिंदी को जीवंत रखिये ये हमारी संस्कृती है … हमारी राष्ट्रीय धरोहर है … आने वाली पीढ़ी को भी इसका ज्ञान कराये और ये तभी संभव है जब हम खुद इस पर अमल करेंगे …. धन्यवाद..:) )
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