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T :- is for talented that you surely are
E :-is for explaining so patiently
A :- is for the ability to make the class fun
C :- is for correcting us when we were wrong
H :- is for helping us in every way
E :- is for encouraging us to do our best
R :- is for rare, there is only one of you!
So thank you special teacher; we think you’re great too!
अध्यापक दिवस जो ५ सितम्बर को मनाया जाता है ! इस दिन सारे बच्चे अपने पसंदीदा अध्यापक के भेष में दिखाई देते हैं और उनकी ही तरह पढ़ाने की कोशिश करते हैं ये बच्चों का अपने अध्यापको के लिए प्यार और इज्ज़त होती है ! अध्यापक ही हैं जो हमारी नीवं रखते हैं ! स्कूल ही एक ऐसी जगह है जहाँ बच्चे को व्यावहारिक और शैक्षिक ज्ञान मिलता है ! बच्चे का चाहुन्र्मुखी विकास होता है ! और अध्यापक ही बच्चे के अन्दर सर्वंगीण गुंणों का विकास करता है ! मेरे विचार से बच्चे की पहली गुरु उसकी माता होती है और दूसरा गुरु अध्यापक होता है क्यूंकि बच्चा इन दोनों के संपर्क में सबसे ज्यादा रहता है !
जिस प्रकार कोई भी माँ जन्म से माँ नहीं होती उसी प्रकार कोई भी अध्यापक भी जन्म से अध्यापक नहीं बनता उसको भी बहुत ही ज्यादा अनुभव और ट्रेनिंग की जरुरत पड़ती है ! आखिर अध्यापक देश के नवयुवको का भविष्य बनाते हैं तो अध्यापक में सारे अछे गुंणों का होना अत्यंत आवश्यक है ! बड़े होके बच्चे कोई डॉक्टर बनता है , कोई अध्यापक बनता है , कोई इंजिनियर बनता है , कोई पायलट बनता है , कोई पोल्टिसियन बनता है , कोई सेना में भर्ती होता है तो कोई कानून का रक्षक होता है , कोई अभिनय की दुनिया में जाता है तो कोई आम इंसान बनता है ! लेकिन इतने सारे किरदारों को कौन शिक्षित करता है एक अध्यापक ….
बच्चोंको ज्ञान दे सकते हैं या फिर डांट सकते हैं अभद्र व्यवहार पर लेकिन कड़ी सजा यानि मार- पिटाई नहीं कर सकते क्यूंकि ये कानून बन गया है की बच्चोंको शारीरिक सजा ना दी जाये ! इसीलिए कुछ शरारती बच्चे इसका फायदा उठा लेते हैं और अपने अध्यापक के खिलाफ कार्यवाही कर देते हैं ! अनुचित के खिलाफ आवाज़ उठाना अछी बात है लेकिन कई बार कुछ अध्यापक तो एक साजिस का शिकार हो जाते हैं ऐसा ऐसा कई जगह कई केसेस में देखने को मिला है …..
पढ़ानेमें इतना आनंद आता था कि छुट्टी वाले दिन भी वो गाँव में आकर पढ़ाती थी ! एक बार कुछ लडकियों ने अपने घर में शिकायत कर दी क्यूंकि सब बच्चे पढने में मन नहीं लगाते ना और जिनका मन नहीं लगता हो उन्हें तो वो सजा कि तरह ही लगता था उनका पढ़ना अवकाश के दिन … तो हुआ यूँ कि उन्होंने अपने भाई वगरह को कहा कि भाई इस अध्यापिका से हमारा पिछा छुडाएं ये तो किसी भी दिन छुट्टी नहीं देती हैं ! तो उन लडको ने कहा कि ठीक है आज के बाद वो अध्यापिका तुम्हे कभी भी छुट्टी के दिन नहीं बुलाएंगी … सन्डे को फिर से मैडम ने कहा कि कल हम २ घंटे अंग्रेजी का अभ्यास करेंगे तो तुम लडकिय समय से आ जाना … हम सब समय से स्कूल पहुँच गए और अध्यापिका जी भी समय से पहुँच गयी ! अध्यापिका जी ना तो कभी खुद लेट होती थी ना ही किसी का लेट आना बर्दास्त करती थी ! तो हम सब समय से ही पहुँच जाते थे ! हमने पढना शुरू किया ही था कि कुछ लड़के वहां क्रिकेट खेलने आ गए स्कूल के मैदान में जिससे कि उनके चिल्लाने कि वजह से हम सब बहुत ही disturb हो रहे थे .. लेकिन फिर भी अध्यापिका जी कहा कि सिर्फ अपनी पढाई पे धयन दो अगर आप लोग सिर्फ अपनी पढाई पे ध्यान दोगे तो कुछ भी होता रहे तुमको फर्क नहीं पड़ेगा …. हद तो तब हो गयी जब उन लडको ने गेंद को कक्षा के दरवाजे पे बार बार मारना शुरू किया ! अध्यापिका जी ने कहा कि आप लोग यहाँ ना खेले कही दूर जाकर खेले यहाँ पर लड़कियां पढ़ रही हैं तो उन लडको में से एक ने जवाब दिया कि आप इनको पढ़ा लिखा कर क्या कलेक्टर बनायेंगी ?…. इनको यही झाड़ू- पोचा और खाना बना है गोबर पाथना है … तभी हमारी अध्यापिका जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने डांटते हुए कहा कि यही तो सोच बदलनी है तुम लोगो कि और तुम्हारे गाँव वालो की कि लड़कियां सिर्फ झाड़ू पोचा , बर्तन और खाना बनाने के लिए ही पैदा नहीं हुयी हैं वो भी कुछ बन सकती हैं कुछ कर सकती हैं समाज के लिए देश के लिए …. खेर लड़के तो बदतमीज थे बहस करने के बाद चले गए और हमारी अध्यापिका जी हमें कहने लगी कि देखो ये चाहते हैं कि तुम बस घर के कामो के लिए ही बनी हो तुम इन को गलत साबित करो …. इनको दिखाओ कि तुम भी इन सबसे आगे जा सकती हो …… तुम्हारे भी सपने हो सकते हैं …… तुम भी देश चला सकती हो ….. जैसे एक घर चलती हो …
अध्यापिका जी कि बात सुनकर लगा कि ये भी तो आज आराम से अपने घर में बैठकर अपने बच्चो के साथ समय बिता सकती लेकिन नहीं इन्होने हमारी भलाई के लिए अपना कीमती समय हमें दिया है … हमारे बारे में सोचा है ….. हमें कुछ समझा है …. इनको भी सरकार बाकि अध्यापको के जितना ही तन्खवाह देती है … ये आज छुट्टी के दिन पढ़ा रही हैं इसका इन्हें अलग से कोई वेतन नहीं मिलता लेकिन ये कुछ बदलना चाहती हैं …. ये बदलना चाहती हैं आने वाले कल को ….. ये चाहती हैं कि कल को लड़कियां किसी से कम नहीं हो … बहुत ही अच्छा लग रहा है आज उन अध्यापिका जी को याद करके……. ! अगर वो आज इस दुनिया में हैं और मेरी इस रचना को पढ़ रही होंगी तो उनको याद आ रहा होगा वो दिन ….. मैं भगवन से दुआ करती हु कि ऐसे ही अध्यापक आज भी बनाये जो सिर्फ अपना भला नहीं देखते थे उनमे समाज के लिए कुछ करने कि लगन होती थी ….. आज पढाई को भी पैसा कमाने का साधन बना दिया गया है ….. जो ज्ञान स्कूल में देना चाहिए वो tution पर दिया जाता है भारी फीस के साथ ….. वो भी अध्यापक थे और आज भी अध्यापक हैं …. उनको वेतन भी इतना नहीं मिलता था लेकिन आज वेतन कि भी कमी नहीं है फिर भी वो जज्बा नहीं है ….
मेरा ये कहने का मतलब नहीं है कि सभी अध्यापक आज पैसा कमाने कि चाहत रखते हैं लेकिन एक बड़ी संख्या में अध्यापक ऐसा चाहते हैं कि वो भरपूर कमाई करे ….
स्कूल एक मंदिर हैं जहाँ पर सभी अध्यापक भगवान् के दूत कि तरह ज्ञान का प्रसार करते हैं और सभी बच्चे भक्तजनों कि तरह उस ज्ञान के प्रसाद को ग्रहण करते हैं ! और अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर लेते हैं ! अध्यापक हमें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करते हैं ! हमारे जीवन में उजाला करते हैं एक दीपक कि भांति ! हमारे ज्ञान चक्षु खोलते हैं ! हमें अछे और बुरे का ज्ञान कराते हैं ! हमें एक अछा इंसान बनाते हैं ! तो हमें अपने अध्यापको का सम्मान करना चाहिए !
सिर्फ ५ सितम्बर को शिक्षक दिवस मना लेने से कुछ नहीं होगा अपने गुरुओं का तहे दिल से सम्मान करना चाहिए …..
क्यूंकि गुरु देवो भव: ….. 🙂
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