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दोस्ती का रिश्ता भी कितना प्यारा होता है ! इसमें न कोई शर्त होती है न ही स्वार्थ ! होता है तो बस प्यार , विस्वास , समझ एक दुसरे को समझने की , दुःख में हमेशा साथ , सुख को भी दुगुना कर देना …..
दोस्त वो है जिसे हम अपना अच्छा या बुरा सब कहते हैं और दोस्त सब कुछ समझता भी है ! कई बार दोस्त बिना कहे ही हमारी परेशानी को भांप लेता है !
बाकी रिश्ते तो हमें परिवार में मिल जाते हैं बस दोस्ती का रिश्ता ऐसा होता है जो हमें खुद ढूँढना पड़ता है ! ये रिश्ता खून से जुड़ा नहीं होता पर दिल से जुड़ा होता है ! ये दिल के बहुत करीब होता है !
जब भी हम बहुत खुश होते हैं तो उसको हम दोस्तों के साथ बांटते हैं और जब दुखी होते हैं तो भी हम अपने दोस्तों के साथ अपने दुःख बांटना चाहते हैं …
मेरी भी एक दोस्त थी !
बहुत प्यारी सी , बहुत न्यारी सी , मासूम सी ……. हम दोनों कॉलेज में साथ पढ़ते थे ! मेरी और उसकी २ क्लास अलग अलग होती थी लेकिन वो दोनों ही क्लास हम ज्यादातर मिस कर देते थे ! उसकी अंग्रेजी की क्लास अलग होती थी और मेरी अलग लेकिन मैं हमेशा उसकी क्लास में जाती थी अपनी में नहीं ! एक दिन मैं अपनी क्लास में गयी और जब मैंने अपनी प्रेजेंट बोली तो मैडम चौक गयी और मुझे खड़ा कर दिया कि पूरा साल बीतने को है आज क्लास में आने की जहमत क्यूँ उठाई ? क्लास में क्यूँ नहीं आती हो ? क्लास में नहीं आती तो कहाँ रहती हो ? ना जाने कितने सवाल मैडम ने कर डाले …… और मैं बुत बनी खड़ी रही किसी भी सवाल का जवाब ना दे पाई ! फिर मैडम ने मुझे स्टाफ रूम में आने को बोला … मैं बहुत डर गयी थी कि अब क्या होगा मैडम क्या करेंगी ? कहीं मैडम मेरी शिकायत प्रिंसिपल मैडम से ना कर दें ! …….. लेकिन क्या कर सकते थे अब बुलाया है तो जाना तो पड़ेगा ही और यही सब सोचते हुए मैं स्टाफ रूम में चली गयी ! मेरे जाते ही मैडम ने दूसरी मैडम की तरफ देखते हुए कहा कि देखो ये लड़की साल पूरा होने वाला है और आज क्लास में आई है ! मैं डर और शर्म के मारे ऊपर नहीं देख पा रही थी ! तभी एक दूसरी मैडम ने कहा की निशा जी ये मेरी क्लास में आती है रोज़ और ये सुनकर मैंने चौककर देखा तो मेरी दोस्त की मैडम ने ये कहा था ! फिर मैडम ने कहा क्यों तुम अपनी क्लास छोड़कर दूसरी क्लास में क्यों जाती हो ? तब तक मुझमे थोड़ी हिम्मत आ गयी थी ! मैंने कहा की मेरी एक दोस्त है जो इन मैडम की क्लास में है इसीलिए हम दोनों वही क्लास अटेंड कर लेते हैं ! तब मैडम ने कहा की वो तो ठीक है लेकिन तुम अपना नाम उस क्लास में डलवा भी तो सकती थी ! मैंने कहा की कही आप नाम डालते नहीं और आप दोनों को पता चल जाता तो मैं फिर क्लास अटेंड नहीं कर पाती ….. मैडम हँसते हुए बोली की नहीं ऐसा कुछ नहीं होता !
फिर ऐसे ही समय बीत गया और हमारा कॉलेज ख़तम हो गया ! मेरी शादी हो गयी ! और हम एक दुसरे से अलग होने का दुःख काफी था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकते थे ! फिर कुछ दिन बाद उसकी भी शादी हो गयी ! मैं उसकी शादी में गयी थी ! उसका पति सुंदर था पढ़ा लिखा था ! फिर तो हमारा मिलना जुलना बहुत ही कम हो गया ! कुछ दिन तो हम एक दुसरे को फोन करते रहे लेकिन फिर उसका फोन आना बंद हो गया और मैं भी फोन कम ही करने लग गयी ! एक दिन मुझे उसकी बहुत याद आई तो मैंने उसको फोन लगाया लेकिन अफ़सोस उसका वो नंबर बंद हो चुका था ! अब मेरे पास उससे बात करने का कोई तरीका नहीं था जब तक मैं वापस रोहतक जाकर उसके घर से उसका नंबर ना ले लेती !
तभी एक दिन मेरी माँ के साथ हादसा हुआ और वो हमें छोड़ के भगवन के पास चली गयी ! मैं ही सबसे बड़ी थी भाई बहन मुझसे छोटे थे ! उनका दुखी देखकर और भी दुःख होता था ! मैं तो उनके सामने अपने को काफी मजबूत बना के रखा ! १५ दिन बीत गए सब अपने अपने घर चले गए ! मैंने एक दिन अपनी एक पुरानी डायरी निकाली और उसमे देखा की मेरी दोस्त का नंबर लिखा था उसके घर का ! मैंने झट से वो नंबर मिला दिया कि चलो मिला के देखू अगर चेंज नहीं हुआ होगा तो बात हो जाएगी या उसका ससुराल का नंबर मिल जायेगा ! फोन लग गया उसकी मम्मी की आवाज़ आई ! मैंने कहा की आंटी मैं परवीन बोल रही हूँ …. आंटी ने कहा हाँ बेटा परवीन … आंटी बहुत ही उदासी में बोली … मैंने कहा आप कैसे हो ? आंटी ने कहा की कैसे होंगे बेटा…. अब हम कैसे हो सकते हैं ? ये सब सुनकर मैं चौक गयी ! मैंने कहा की क्या हुआ आंटी ऐसे क्यूँ बोल रहे हो ? आंटी ने कहा कि तुम्हारी दोस्त अब हमें छोड़कर चली गयी है तो हम कैसे हो सकते हैं ! मैंने कहा कि आंटी चली गयी है लेकिन आप उसको फोन कर सकते हो अगर आपको ज्यादा याद आ रही है तो …. आप मुझे उसका नंबर दीजिये मैं उससे बात करती हूँ कितने दिन हो गए हैं उसने मुझसे बात नहीं की है … तभी मुझे आंटी के रोने की आवाज़ आई ! मैंने कहा आप रो क्यूँ रहे हैं… आंटी ने बताया की तेरी दोस्त वहां चली गयी है जहाँ हम फोन नहीं कर सकते न उसको वापस बुला सकते हैं ना ही वो वापस लौट के आ सकती है ! ये सब सुनकर मुझे तो काटो खून नहीं रहा …. ये कैसे हो सकता है ! आज मेरा उससे बात करने का कितना मन था लेकिन ये क्या………… अब मैं उससे कभी बात नहीं कर पाऊँगी ……. मेरे हाथ से फोन गिर गया और मैं वही बैठ गयी तभी बुआ जी ने फोन लिया और बात की तो आंटी ने कहा की इसे क्या हुआ ये ठीक तो है न …. बुआ जी बोली की ठीक कैसे होगी जिस बच्चे ने अपनी माँ को खो दिया हो वो ठीक कैसे होगी ! …… तब आंटी को मेरी माँ के बारे में पता चला था … फिर आंटी ने कहा आप इसे संभालो हम आते हैं थोड़ी देर में …
बुआ जी ने कहा की अब कितने दिन तक रोती रहोगी जो चले गए वो वापस नहीं आते …
मैं बुआ जी की कोई बात पर ध्यान नहीं दे रही थी बस यही सोच रही थी की उसको अगर ये पता चलेगा तो वो दौड़कर मेरे पास आयेगी मेरे आंसू पूछने …. लेकिन ये क्या मैं उसको अपना दुःख सुनाने वाली थी और वो तो खुद ही इस दुनिया से जा चुकी थी …. वो सारे पल मेरी आँखों के सामने एक फिल्म की भांति चलने लगे जो हमने साथ में बिताये थे …. वो अगर एक दिन बिना बताये कॉलेज नहीं आती थी तो मैं कितना गुस्सा हो जाती थी कि तेरी हिम्मत कैसे हुए बिना बताये छुट्टी करने की … वो लाख माफ़ी मांगती लेकिन मैं उससे नाराज़ हो जाती थी ! आज वो वहां चली गयी थी जहाँ से कोई भी वापस नहीं आ सकता था … ऐसा वो कैसे कर सकती थी …..
आज भी मैं उसको याद करती हूँ लेकिन वो है की अब तो कभी सपने में भी नहीं आती ………….
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