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राखी का अटूट बंधन (प्रेम+विस्वास+आशीर्वाद+दुआ)

Hum bhi kuch kahen....
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रिश्ते तो सभी अनमोल होते हैं ! जैसे माँ-बाप का रिश्ता , भाई-बहन का रिश्ता , पति-पत्नी का रिश्ता , सास-बहू का रिश्ता , बहन-बहन का रिश्ता ….. बहुत सारे रिश्तो का वहन करना पड़ता है इस जिंदगी में ! ऐसा ही एक प्यारा रिश्ता होता है भाई-बहन का ! जिसमे प्यार , तकरार ,बहस, लड़कपन ,स्नेह , देखभाल सब देखने को मिलते हैं ! हमारे देश में इस भाई बहन के रिश्ते को एक डोरी से बांधा जाता है जिसे हम राखी कहते हैं ! ये राखी महज एक धागा ही होती है लेकिन इसमें एक बहन की तरफ से भाई के लिए लाखो दुआएं , आशीर्वाद , प्रेम सब बंधा होता है ! और जब वो पवित्र धागा एक भाई की कलाई पर बंध जाता है तो भाई भी अपना कर्तव्य निभाने में पीछे नहीं हटता ! उस समय भाई अपनी बहन को जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है ! और जीवन भर उस वचन को निभाता है !


हम दो बहाने हैं और एक भाई है ! हम दोनों बहने ही अपने भाई से बड़ी हैं ! इसीलिए भाई कुछ ज्यादा ही प्यारा लगता है ! आज भी मुझे याद है कि एक बार भाई ने बचपन में स्कूल जाने से मना किया था तो मम्मी से भाई को बहुत मार पड़ी थी और भाई कि पिटाई मुझसे देखी नहीं गयी और मैंने कहा कि मत मारो माँ …. तब माँ ने कहा कि स्कूल जायेगा तो मैं क्यों मारूंगी ! भाई मेरा समझदार था वो उसका पहला और आखिरी दिन था स्कूल जाने से इनकार करने का ! उसके बाद भाई ने कभी भी स्कूल जाने से मना नहीं किया !


हम भाई बहन बचपन में बहुत लड़ते झगड़ते थे ! मम्मी परेशान हो जाती थी हमारी लड़ाई से और हमेशा कहती कि तुझे(भाई को ) मैं हॉस्टल भेजूंगी पढने के लिए ! और एक दिन वो दिन आ ही गया कि भाई को सच में हॉस्टल भेज दिया पढने के लिए ! और भाई ख़ुशी ख़ुशी चला भी गया जबकि वो महज छठी कक्षा में हुआ था ! जब उसे हॉस्टल छोड़ के आये तो हमें बड़ा दुःख हुआ उसकी याद भी आई लेकिन उसके भले के लिए ही तो था इसीलिए हम तीनो (माँ,बहन,और मैं ) किसी से कुछ नहीं कहते थे ! भाई ने खुद को हॉस्टल में adjust कर लिया था जब उसको छोड़ कर आये थे तो उसने एक बार भी पलट कर पीछे नहीं देखा कि तुम्हारे माँ – बाप जा रहे हैं तुम्हे छोड़ कर ! आज याद करके बड़ा रोना आता है कि कैसे एक छोटे से बच्चे ने समझौता कर लिया था कि अब तुझे यही रहना है ! और वो ख़ुशी ख़ुशी रह गया ! पढाई में तो अच्छा था ही और शरारत तो बहार वो कभी करता ही नहीं था बस हम बहनों के साथ ही शरारत किया करता था ! बहार के लोग तो यही कहते थे कि ये बहुत सीधा है किसी से कभी लड़ते नहीं देखा , किसी से कभी बहस करते नहीं देखा ! जब वो हॉस्टल से घर आता था छुट्टी में तो फिर से वही हमारा लड़ना झगड़ना शुरू हो जाता ! लेकिन जब वो चला जाता था तो याद भी बहुत आता था !



ऐसे ही एक रक्षा बंधन पर मैंने कहा कि मुझे राखी बांधने जाना है अपने भाई को तो मम्मी पापा ने भी जाने की इजाजत दे दी ! और मैं बहुत ही ख़ुशी के साथ उसको राखी बांधने के लिए चल पड़ी साथ में और भी राखियाँ ले ली एक्स्ट्रा में क्यूंकि उसके रूम मेट भी होंगे तो उनको कैसे छोडूंगी ! मैं उसके हॉस्टल पहुंची तो देखा की भाई ने सफ़ेद कुरता पायजामा पहना है जबकि उसको कुरते पायजामे से बहुत ही नफरत थी ! लेकिन हॉस्टल का नियम था तो उसने पहना हुआ था ! उसके कमरे में एक और लड़का था तो मैंने दोनों को बिठाया और राखी की रस्म पूरी की ! फिर थोड़ी देर बात की और फिर भाई बोला चलो मैं तुझे छोड़ के आ जाऊ बस स्टैंड तक ! हम दोनों भाई बहन चल दिए ! बस स्टैंड जाकर उसने मुझे बस में बिठाया और विदा ली ! जैसे जैसे वो मुझसे दूर जा रहा था मुझे रोना आ रहा था लेकिन मैंने अपने को कठोर करके रखा हुआ था ! बस चल पड़ी और देखते ही देखते भाई आँखों से ओझल हो गया और फिर मेरा दिल भर आया ! और मैं अपने को रोक नहीं सकी ! मैं भी उस समय कोई ज्यादा बड़ी नहीं थी यही +२ की छात्रा थी ! मैं बड़ी जोर से रोने लगी मेरे दिल में हज़ार ख्याल आये की कैसे वो रहता होगा बिना अपने परिवार के , कैसे वो हॉस्टल का खाना खाता होगा क्यूंकि उसको करारी रोटी ही पसंद थी खाने में और हॉस्टल में जैसे रोटियां मिलती हैं सबको पता है लेकिन उसने फिर भी कभी कोई शिकायत नहीं की ! बस यही सब सोचते सोचते मैं अपने को रोक नहीं पाई और रोने लग गयी ! मेरी ही सीट पर एक अंकल बैठे थे उन्होंने पूछा बेटे आप क्यूँ रो रहे हो क्या आपके पास टिकेट नहीं है या फिर आपका पर्स चोरी हो गया तो मैंने ना में गर्दन हिलाई ! फिर उन्होंने पूछा तो रो क्यूँ रही हो बताओ तो — मैंने कहा अंकल आज राखी है और मैं अपने भाई को राखी बंध कर आ रही हूँ वो हॉस्टल में पढता है बस इसीलिए रोना आ रहा है ! तो उन अंकल ने कहा की बेटा ये तो अच्छी बात है की आज के शुभ दिन आप अपने भाई से मिली और उसको राखी बांध पाई लेकिन कुछ लोग तो इतने अभागे होते हैं कि उनको ऐसा अच्छा अवसर नहीं मिल पाता ! आप रोये नहीं और अपने भाई के लिए दुआ करे कि वो अछे से पढाई करे और आपके माँ-बाप का नाम रौशन करे ! आज के दिन तुम जो भी दुआ करोगी वो जरुर पूरी होगी !


बस वो दिन था और आज का दिन है इसके बाद मैं कभी इस तरह से मायूस नहीं हुयी ! भाई ने अछे से पढाई कि और अछी नौकरी में लग गया ! आज भी चाहे राखी पर हम चाहे मिले या नहीं पर राखी भेजना और दुआएं भेजना कभी नहीं भूलती !
हमारे हरयाणा में एक लोकगीत है —- मेरी जिठानी के पांच भाई मेरे ते मेरी माँ का जाया एक से
वो ते पांच आये पचास लाये पाट्टी ते लाये बेबे चुन्दडी
वो ते एक आया लाख लाया रेशम की ते लाया बेबे चुन्दडी !!


ये लोक गीत तब गाया जाता है जब एक भाई अपने भांजे या भांजी की शादी में भात लेके आता है ! भाई जब पटड़े पर चढ़ता है , तो बहन का सीना गर्व से ऊँचा हो जाता है !



इस राखी के त्यौहार पर बस मेरी भगवन से यही प्रार्थना है कि हर बहन को एक भाई और हर भाई को एक बहन जरुर मिले ! हर भाई बहन का रिश्ता बहुत प्यारा हो ! लेना – देना तो हाथ का मेल है आज है कल नहीं है लेकिन प्यार और प्रेम हमेशा रहना चाहिए ! अपनी भाभी को भी उतना ही महत्व देना चाहिए जितना कि अपने भाई को दिया जाता है ! मैं अपने भाई और भाभी के लिए दुआ करती हु कि वो दिन दौगुनी और रात चौगुनी उन्नति करे !


इसके साथ ही आप सभी को राखी का त्यौहार बहुत बहुत मुबारक हो !!!   🙂

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