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“अतिथि देवो भव:” ऐसा हम बचपन से सुनते आ रहे हैं ! हमें यही सिखाया और समझाया जाता है की अतिथि भगवान् का रूप होते हैं ! हम बचपन में देखते थे की जब भी कोई अतिथि घर में आता था तो उस दिन खास किस्म का भोजन बनाया जाता था ! और हम बच्चे लोग बड़े खुश होते थे की कोई हमारे घर आया है ! अतिथि को जलपान कराकर बैठक में बैठा दिया जाता था और एक हुक्का भर दिया जाता था फिर आस – पास के खास लोग आते और वार्ता करते थे ! और फिर शाम को हलवे की खुशबु से घर महक जाता था और पड़ोसियों को जिनको पता भी नहीं होता था की इनके यहाँ कोई आया है उनको भी हलवे की खुशबु से पता चल जाता था की हाँ भाई कोई न कोई मेहमान आया है ! (वैसे मुझे हलवा और उसकी खुशबु दोनों ही पसंद नहीं हैं 🙂 ) ……..
फिर जमकर खातिर होती थी मेहमान की ! थाली में तैरता हुआ घी खाने की शोभा बढ़ा देता था ! खाने में ज्यादा कुछ नहीं बस हलवा , दाल , एक सब्जी और रोटी ही होती थी लेकिन उसके ऊपर तैरता हुआ घी ……… उसके बाद आधा किलो का जग दूध गटक जाते थे ( आज सोचकर ही लगता है की कैसे खाते थे इतना गरिष्ठ भोजन )… फिर नयी चारपाई जो होती घर में उसको निकाला जाता और उसपर नयी चादर और दरी बिछाई जाती , नया ही तकिया और नया ही खेस (ओढने वाली चद्दर ) निकाले जाते ! मेहमान कुछ फल लेके आते जिनको आस पड़ोस में बांटा जाता !
लेकिन आज के परिवेश में सब बदल गया है ! अब कोई खास ख़ुशी नहीं होती किसी मेहमान के आने से ! ना ही उसके द्वारा लाये गए किसी फल से ! आज थाली में सब्जियां तो ४ मिल जाती हैं लेकिन घी ना तो डालने वाला डालता है और ना ही खाने वाले को पसंद है ! और हलवा तो अब कोई खता भी नहीं ना ही बूरा खाते हैं ! और आधा किल्लो दूध तो कोई पी भी नहीं सकता और ना ही कोई ऑफर करता है बस चाय का कप और उसके साथ स्नेक्क्स दिए जाते हैं और जो चाय नहीं पीता उसे कोल्ड ड्रिंक्स पिलाई जाती है ! क्यूंकि पहले मेहमान काफी दिनों बाद आते थे कोई खास सूचना लेकर या फिर किसी खास काम से ! अब उन सबकी कोई जरुरत नहीं पड़ती कोई भी खास सूचना आप पल भर में किसी को भी कही भी फ़ोन पर दे सकते हैं !
पहले बच्चे इसीलिए ज्यादा खुश होते थे मेहमान आने पर की आज तो कुछ खास खाना बनेगा और आने वाला मेहमान भी खास ही फल या मिठाई लेके आएगा ! लेकिन आज ऐसा कुछ नहीं है क्यूंकि आजकल सब खास फल या मिठाई पहले से ही फ्रीज़ में रखी होती है ! और खाना तो रोज़ ही खास बनता है ! न कोई खास बिस्तर लगाने की जरुरत पड़ती है क्यूंकि हर कमरे में पहले से ही मोटे गद्देदार बेड बिछे रहते हैं ! अब किसी के पास समय नहीं है ना तो किसी के घर जाने का न ही किसी को स्वागत करने का !
अब मेहमान के आने से पहले उसके जाने की चिंता रहती है कि कब जायेगा ? कहने को तो सब अच्छा सा भाषण देंगे कि मेहमान भगवान् होता है लेकिन आज के टाइम में जब मेहमान आता है तो उससे बड़ा दानव कोई नहीं दिखता है ! मन ही मन ( ये क्यूँ आ गया है अब कल का सारा प्लान चौपट हो गया ) क्यूंकि आजकल कि भागदौड कि जिंदगी में किसी के पास समय ही नहीं बचा है ! जो भी समय होता है वो अपने बीवी बच्चो के साथ बिताना चाहते हैं और ऐसे में मेहमान आ जाये तो फिर …………
अभी पिछले कुछ दिनों से ऐसा ही हो रहा है हमारे घर में भी ….. ४ लोग आते हैं उनके जाने के ४-५ दिन बाद ही नए मेहमान आ जाते हैं ! (बस खून पी के रख दिया है मेहमानों ने तो एक तो इतनी गर्मी और ऊपर से इतने मेहमान ) ये सब मन में चल रहा है पर कह नहीं सकते हैं किसी को नहीं तो शान कम हो जाएगी 🙂 ! पति पत्नी के बीच में बिना बात के ही कलह शुरू हो जाती है बेचारा पति बीवी को भी खुश रखना चाहता है और मेहमानों को भी ! पत्नी करना कुछ चाहती नहीं लेकिन उसे ये सुनने कि तम्मना है कि हर कोई ये कहे कि बड़ी खातिर की ! बच्चे तो अलग से गुस्सा हैं एक ही तो सन्डे मिलता है पापा के साथ बिताने का और उसमे भी कोई न कोई आया रहता है 🙁 ….
कही ये सुना है कि –
एक दिन का मेहमान
दुसरे दिन का साहेबान
और तीसरे दिन का बेईमान ……..
खैर जो भी है हमारे देश में “अतिथि देवो भव:” आज भी हम अपने बच्चो को सिखाते हैं पढ़ाते हैं ! फिर आचरण में माने या नहीं वो एक अलग बात है !
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