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आज सारी दुनिया जिस मुल्क को, जिस मुल्क की तरक़्क़ी को आदर और सम्मान के साथ देख रही है, वह भारत है. लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान में सब कुछ मिलता है, जी हां हमारे पास सब कुछ है.
लेकिन हमें यह कहते हुए शर्म भी आती है और अफ़सोस भी होता है कि हमारे पास ईमानदारी नहीं है. हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भ्रष्टाचार कितनी गहराई तक उतर चुका है और किस तरह से बेईमानी एक राष्ट्रीय मजबूरी बनकर हमारी नसों में समा चुकी है……….
सन २०११ कि अगर प्रमुख घटना देखे तो ये साल क्रांति का साल बन चुका है . १५ अगस्त को हम अपनी आज़ादी के दिन के रूप में याद रखते हैं पर अब से १६ अगस्त को भी यादगार के दिन के रूप में याद रखा जायेगा . क्यूंकि इसी दिन से अन्ना जी ने भ्रस्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और ये आवाज पुरे देश कि आवाज बन गई .
ऐसा लगा कि कोई जादू कि छड़ी आई है , आज घुमा कल से भ्रस्टाचार तथास्तु. कुछ कोशिश रामदेव ने भी कि लेकिन परिणाम कुछ नही निकला . भारत में भ्रस्टाचार है . लेकिन जनाब रहते तो आप भी इस देश में है . गौरतलब है अगस्त क्रांति का भारत मुल्क में बहुत महत्व है . 15th अगस्त को तो सब जानते हैं . किन्तु इस वर्ष १६ अगस्त को भी याद रखा जायेगा उसके 15 दिन तक ये आंधी चली ….. लोग लोकपाल , जन्लोक्पल , ड्राफ्ट जैसे नए शब्दों से रूबरू हुए . सब ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ……… दुर्भाग्यवश इसका कोई विशेष प्रभाव नही पड़ा भ्रस्टाचार को कम करने में . भ्रस्टाचार का नाम आते ही जहन में नेता शब्द पहले आता है . आज कल तो भ्रस्ताचार में होड़ लगी है नेताओ के बीच , आरोप -प्रत्यारोप तो लगे बीजेपी ने 2g & cwg घोटाला का हवाला दिया तो कांग्रेस ने कर्नाटक में येदुरप्पा जी कि सरकार कि याद दिला दी . चलिए वहाँ तो लाखो करोरों का घोटाला है , शायद ये आम आदमी के सन्दर्भ में नही है . क्यूंकि आम आदमी को तो रोटी कपडा मकान चाहिए . उसकी परेशानी CWG और 2G में नही है .. उसकी समस्या राशन के उस दूकान से है जहां उसे छला जाता है. उसकी समस्या उस सरकारी हॉस्पिटल से हैं जहां कुछ फ्री नहीं रहा . भ्रस्टाचार कि शुरुआत हरेक के घर से होती है . क्यूंकि कहीं ना कहीं हम ने उसको बढ़ावा दिया है
मंदिर में दर्शन के लिए, स्कूल अस्पताल में एडमिशन के लिए, ट्रेन में रिजर्वेशन के लिए, राशनकार्ड, लाइसेंस, पासपोर्ट के लिए, नौकरी के लिए, रेड लाइट पर चालान से बचने के लिए, मुकदमा जीतने और हारने के लिए, खाने के लिए, पीने के लिए, कांट्रैक्ट लेने के लिए, यहां तक कि सांस लेने के लिए भी आप ही तो रिश्वत देते हैं. अरे और तो और अपने बच्चों तक को आप ही तो रिश्वत लेना और देना सिखाते हैं. इम्तेहान में पास हुए तो घड़ी नहीं तो छड़ी.
महंगाई, ग़रीबी, भूख और बेरोज़गारी जैसे अहम मुद्दों से रोज़ाना और लगातार जूझती देश की अवाम के सामने भ्रष्टाचार इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा और सबसे खतरनाक बीमारी है. अगर इस बीमारी से हम पार पा गए तो यकीन मानिए सोने की चिड़िया वाला वही सुनहरा हिंदुस्तान एक बार फिर हम सबकी नजरों के सामने होगा. पर क्या ऐसा हो पाएगा? क्या आप ऐसा कर पाएंगे? जी हां, हम आप से पूछ रहे हैं. क्योंकि सिर्फ क्रांति की मशालें जला कर, नारे लगा कर, आमरण अनशन पर बैठ कर या सरकार को झुका कर आप भ्रष्टाचार की जंग नहीं जीत सकते. इस जंग को जीतने के लिए खुद आपका बदलना जरूरी है. क्योंकि भ्रष्टाचार और बेईमानी को बढ़ावा देने में आप भी कम गुनहगार नहीं हैं…….
हमारे दिल में श्री अन्ना हजारे के लिए बहुत आदर है जो भी उनोहने अपने ग्राम और महाराष्ट्र के लिए कार्य किये हैं वो उल्लेखनीय हैं . एक बुजुर्ग ने हमारे देश को आजादी का तोहफा दिया था और एक बुजुर्ग देश कि आवाज बन कर उठा है . कुछ प्रश्न अब भी पीछे रह जाते हैं .
जो भी लोकपाल और लोकायुक्त के पद में कार्यरत होंगे क्या वो अपने कार्य के प्रति इमानदार और निष्ठावान रहंगे . वो भी इस भ्रस्ट सिस्टम का हिस्सा हैं . कर्न्ताका के पूर्व लोकायुक्त श्री . हंशराज भारध्वाज दोषी पाए गए और निष्कासित कर दिए गए .
श्री अन्ना हजारे कि मांग है सभी कर्मचारी को दायरे में लाओ . सुनने में बहुत अच्छा लगा ,कुछ ने सोचा बस 1 जनवरी 2012 से भ्रष्टाचार ख़तम , लेकिन जनाब अपने घर में चोरी को चोरी नही कहते .
अन्ना हजारे जी कि जो मांगे हैं वो पूर्णता वैध और जायज़ हैं . लेकिन इस के लिए एक मजबूत कार्यप्रणाली क़ी ज़रूरत है
क्या हमारा देश 20000 के करीब कर्मचारियों का अतिरिक्त वेतन बोझ के लिए सक्षम है . और इस क़ी कोण गारंटी लेगा क़ी सब लोकपाल के इमानदार और कर्त्तव्य निष्ट हों. दूसरों पे दोशार्पण कर के , सविंधान में परिवर्तन करके और मैं हूँ अन्ना क़ी टोपी पहन के भ्रस्टाचार नही मिटेगा . ये मिटेगा हमारी इचाशक्ति से .
“जिंदा कौमे 5 साल इंतज़ार नही करती ” राम मनोहर लोहिया जी ने कहा है .
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