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भगवन ने मनुष्य के रूप में एक अति सुंदर रचना की . फिर मनुष्य ने भी काफी रचनाएँ कर डाली जैसे की धरम,रीति रिवाज , जातियां , इत्यादी . भगवन ने तो सभी मनुष्यों को एक जैसा बना कर के धरती पर भेज दिया पर धरती वालो ने ही उसको टुकडो में बाँट दिया जैसे की तू हिन्दू , तू मुस्लिम , तू सिख , तू ईसाई . लेकिन इतना ही नहीं फिर जातियां ही अलग कर डाली . उच्चा वर्ग , निम्न वर्ग , मध्यम वर्ग …… सब लोग पढ़े लिखे होने के बाद भी इन भेदभावो को ज्यों का त्यों रखना चाहते हैं क्यूँ क्या इतना काफी नहीं है की हम सब इन्सान हैं .
खेर मुझे तो इस बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं है पर फिर भी मेरा ऐसा मानना है इन्सान को अहमियत देनी चाहिए न की उसके धरम को . .. कुछ समय पहले मेरी मुलाक़ात एक भाई से हुई . वो हमारे घर आये और कहने लगे की आपको कुछ बताना है . हमने कहा की ठीक है आएये बेठिये और बतैये की आप क्या बताना चाहते हैं. उन भाई साहब ने पूछा की आप क्या हैं अर्थात किस धरम को मानते हैं हमने कहा की भाई हमारा जनम तो हिन्दू धरम में हुआ है . उन्होंने कहा की क्या भगवन ने आपको कहा था की आप हिन्दू हैं?? हमने कहा की नहीं भाई उन्होंने तो कुछ नहीं कहा बस हिन्दू कुल में जनम लिया तो हिन्दू बन गए. उन्होंने कहा की अछा फिर तुम क्या किसी एक भगवन को मानते हो तो बताओ की कोण भगवन को मानते हो ?? अब ये प्रश्न का जवाब बड़ा मुस्किल था क्यूंकि हमें तो बचपन से ही यही बताया गया था की राम भी भगवन हैं और कृषण भी . शिव भी भगवन हैं और गणेशा भी …
अगला प्रशन था की आप किस भगवन की पूजा करते हैं ?? और फिर हमारा जवाब जरा सपष्ट नहीं हो रहा था क्यूंकि सभी भगवानो की पूजा करते थे . तब से बड़ा मुस्किल सा हो गया की हम विभिन मूर्तियों में भगवन को दुन्ढ़ते हैं पर हमारे अंदर जो इन्सान है अगर वो पवित्र हो तो क्या वो भगवन नहीं हो सकता है . उस दिन मेने सोच लिया की आज के बाद मूर्ति पूजा बंद और सिर्फ कुछ ऐसा करो जो किसी को नुकसान न दे किसी को दुःख न दे , हमारी वजह से किसी को कोई समस्या न हो सच बोले हम , और हो सके तो हमारे आसपास जिन लोगो को मदद की जरुरत है वो करे . फिर चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान सिख हो या ईसाई . आप सब सोच रहे होंगे की ये शुरू क्या कर रही थी और पहुँच कहाँ गई पर में कोई रचनाकर नहीं हु बस जो मेरे मन में था वो कह दिया . अगर आप में से कोई इससे आहात हुआ हो तो माफ़ कर दे ……
मानवता ही सबसे बड़ा धर्मं है . और मानवता की सेवा करना सबसे बड़ी पूजा है . और उसके लिए किसी स्पेशल भगवन को मानना जरुरी नहीं है ऐसा मेरा सोचना है. ये तो थी पूजा की बात . अब आते हैं त्यौहार सब त्यौहार मनाओ चाहे वो होली हो या दीवाली ईद हो या मोहरम न्यू येर हो या फिर क्रिश्मस डे मतलब तो खुसी मानाने से हैं चाहे उसको कैसे ही मनाओ…….
अतः अब आ रही है ईद तो आप सभी को मेरी तरफ से ईद की बहुत साri शुभकामनाये .. dhanyavad
or hum sab insan hain or insaniyat hamara dharam haim hai or jaruratmando ki sewa karna hamari pooja hai ……
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