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आजकल एक नयी बीमारी है जिसका नाम है गुस्सा . जो हर शख्स को आजकल बहुत जल्दी आता है . में भी इस बीमारी का शिकार थी . मुझे भी बहुत गुस्सा आता था . सब मुझे समझाते कि गुस्सा इन्सान को खा जाता है . पर में चाहकर भी अपने गुस्से को कण्ट्रोल नहीं कर पाती थी तो एक दिन मेरे दादा जी ने कहा कि लो बेटा ये कुछ कीले हैं जब भी तुम्हे किसी बात से गुस्सा आये तो एक कील सामने वाली दीवार में ठोक देना . पहले दिन मेने ५ कीले ठोकी अगले दिन ३ और इस तरह कीले कम होती गयी और कभी-२ तो किसी -किसी दिन एक भी कील नहीं ठुकती थी . फिर एक दिन ऐसा आया जब साडी कीले ख़तम हो गयी और मुझे लगा कि मेरे पास कोई कील नहीं है और अब मुझे गुस्सा भी कम आने लगा है तो मेने ये बात अपने दादा जी को बताई तो उन्होंने कहा कि बेटा अब जब कभी आपको दिन में एक बार भी गुस्सा न आये तो ये कीले एक -एक करके दीवार से निकाल देना . धीरे-२ मेने साडी कीले निकाल दी तब दादा जी ने कहा कि बेटा देखो इस दीवार को तुमने कीले ठोकी और निकाल दी लेकिन फिर भी दीवार में छेद तो रह गए . और अब ये दीवार कितनी ख़राब लग रही है . इसी तरह आप जब गुस्सा होते हो तो किसी के दिल में इसी तरह छेद हो जाता है और फिर आप माफ़ी भी मांग लोगे तो भी निशान तो रह ही जायेगा . रिश्ते में खटास आ ही जाएगी. दादा जी का इशारा में समझ रही थी . अब मुझे समझ आ गया था कि गुस्सा करने से में किसी को कितना दुखी कर देती थी तो अब जब समझ आ ही गया तो मै तो गुस्सा छोड़ चुकी हु दोस्तों और अब आप लोग भी अपने गुस्से को छोड़ ही दे . आपको अन्दर से बहुत शांति प्राप्त होगी कसम से . एक अजीब सा सुकून मिलेगा . बस मै आज यही कहना चाहती थी. dhayavad…….
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