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हँसना है पर कैसे ???

Hum bhi kuch kahen....
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आजकल की भगदोद्द की जिन्दगी में अगर कुछ मुस्किल हो गया है तो वो है हँसना . न तो लोगो को हंसने के लिए टाइम है और न ही उनको कोई बहाना मिल पता है हंसने के लिए क्यूंकि वो अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करते-२ थक चुके हैं पर जरूरतें इस महगाई में पूरी कहाँ हो पाती हैं . जब एक बच्चा बहुत छोटा होता है तो वो बिना किसी कारन के ही मुस्कराता है पर जब वो धीरे -2 बड़ा होता जाता है तो उसकी मुस्कराहट बिलकुल ही कम होती जाती है . स्कूल जाने लगता है तो उसको पढाई का दबाव रहता है . कॉलेज जाने लगता है तो उसको आगे बढ़ने की रेस में शामिल होना पड़ता है आखिर पीछे भी तो नहीं रहा जा सकता है तो उसी चिंता में जलता है और हँसना ही भूल जाता है . और जब परिवार हो जाता है तो अपने लिए टाइम कहाँ . क्या साडी उम्र ऐसे ही जियेगा एक इन्सान क्या उसको कभी भी एक पल का चैन हासिल नहीं होगा . क्या वो कभी अपने लिए नहीं जी पायेगा हंस नहीं पायेगा  शायद कभी नहीं . जिन्दगी में हँसना मुस्कुराना बहुत जरुरी है एक छोटी सी मुस्कराहट से हम अजनबियों को भी अपना बना लेते हैं और न मुस्कराने से अपनों के बीच भी अजनबी बन जाते हैं . किसी ने मुझसे कहा है:-” की हंसो मुस्कराओ क्या गम है  जिन्दगी में टेंसन किस को कम है”

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